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Jan 4, 2014

अपहरण की अजीब कहानी: डिश के आईडी नंबर से पकड़े किडनैपर

अमीर कारोबारी... करोड़ों का कारोबार... किडनैपिंग... और 100 करोड़ की फिरौती... एक ऐसा अपहरण है, जो हुआ तो देश के पश्चिमी कोने पर मौजूद एक छोटे से द्वीप पर... लेकिन इसकी साजिश का ताना-बाना बुना गया देश के 6 राज्यों को मिला कर.
पटना से तकरीबन 50 किलोमीटर दूर छपरा जिले के एक गांव में खुशी का माहौल था. लोग नाच-गा रहे थे, क्योंकि इस घर से बारात निकल रही थी. लेकिन इसी बारात के पीछे इस मकान के एक कमरे में वो राज़ दफ़्न था, जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था. क्योंकि एक तरफ़ तो इस मकान में शादी हो रही थी, लोगों की भीड़ इकट्ठी थी. दावत उड़ाई जा रही थी. वहीं दूसरी तरफ़ इसी मकान के एक कमरे में पिछले बीस दिनों से क़ैद एक नौजवान अपने रिहाई का इंतज़ार कर रहा था. दूसरे लफ़्जों में कहें तो अपनी आज़ादी के लिए घड़ियां गिन रहा था.
लेकिन सवाल ये है कि एक भरे घर में, जहां शादी की वजह से ज़बरदस्त चहल-पहल थी, सैकड़ों लोगों का आना-जाना लगा था, वहां भला कोई नौजवान कैसे क़ैद हो सकता था? सवाल ये भी है कि आख़िर इस नौजवान का गुनाह क्या था? और उसे यहां इस हाल में किसने क़ैद कर रखा था? इन सवालों के जबाव में अपहरण की वो अजीब कहानी छिपी है, जिस पर किसी के लिए भी यकीन करना भी मुश्किल हो सकता है.
एक ऐसा अपहरण जिसमें चंद सियासतदानों और पुलिसवालों की शह पर एक अरबपति कारोबारी के बेटे को अगवा किया गया. 25 दिनों तक उसे क़ैद में रखा गया और सौ करोड़ की फिरौती मांगी गई. क्योंकि ये थी अब तक की सबसे बड़ी किडनैपिंग.
नौजवान बेटे को किया अगवा
इधर दमन की एक फैक्ट्री पर बदमाशों ने धावा बोला और उधर सूरत के एक परिवार में सन्नाटा पसर गया. क्योंकि बदमाशों ने इस घर के नौजवान बेटे को अगवा कर लिया था. लेकिन इसके बाद बदमाशों ने इस परिवार के सामने जो मांग रखी, वैसी मांग अब तक ना तो किसी ने रखी थी और ना ही सुनी थी.

देश के केंद्र शासित प्रदेशों में से एक दमन में इस रोज़ जो कुछ हुआ, उसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था. अमीर कारोबारी हनीफ़ हिंगोरा के बेटे सुहैल हिंगोरा को उन्हीं की फैक्ट्री से हथियारबंद गुंडों के एक गैंग ने तब अगवा कर लिया, जब वो रोज़ की तरह फैक्ट्री का काम-काज संभालने पहुंचा था. इस वारदात ने सूरत के रहनेवाले हिंगोरा परिवार को बेचैन कर दिया. ये उनके लिए एक बड़ा झटका था.
नौजवान सुहैल जितना तेज़-तर्रार था, उतना ही स्मार्ट भी. वो कराटे का ब्लैक बेल्ट होल्डर था. लेकिन हथियारों से लैस गुंडों के आगे उसकी एक न चली और अगले चंद मिनटों में उसे उठा कर बदमाश दमन से दूर निकल चुके थे. इसके बाद जब देर तक सुहैल वापस नहीं लौटा, तो घरवाले पुलिस के पास पहुंचे, लेकिन दमन पुलिस भी सुहैल के बारे में कोई ख़ास सुराग़ नहीं लगा सकी. इसी बीच दो दिन गुज़र गए और फिर वही हुआ जिसका डर था.
अनजान नंबरों से कॉल 
अब कुछ अनजान नंबरों से सुहैल के पिता हनीफ़ हिंगोरा के मोबाइल पर फ़ोन आने लगा. कॉल करनेवाले ने कहा, 'तुम्हारा बेटा सुहैल हमारे कब्ज़े में है. अगर, उसकी ख़ैरियत चाहते हो, तो सौ करोड़ रुपए का इंतज़ाम कर लो. इधर, तुमने रुपए दिए और उधर तुम्हारा बेटा वापस लौट आएगा. और हां, अगर तुमने कोई चालाकी करने की कोशिश की, तो नतीजा ठीक नहीं होगा.'

ये बातें सुनते ही हिंगोरा परिवार में सन्नाटा पसर गया. सुहैल के पिता हनीफ़ हिंगोरा के पैरों तले ज़मीन खिसक गई. अब घरवालों को ये बात समझ में आ गई कि उनके लाडले को बदमाशों ने अगवा कर लिया है. और बेटे की रिहाई का बस एक ही रास्ता है, वो है अपहरणकर्ताओं की मांग पूरी करना. लेकिन ये मांग जितनी बड़ी थी, उसके बारे में सोच कर भी हिंगोरा परिवार को पसीने छूट रहे थे.
हर बार फिरौती के लिए एक नए नंबर से कॉल
अब हिंगोरा परिवार को अगले फ़ोन का इंतज़ार था. उधर, दमन पुलिस बदमाशों का पता ढूंढ़ने के लिए पूरी तरह चौकन्नी हो चुकी थी. इसके बाद इस परिवार के पास एक-एक कर कई फ़ोन आए और हर बार अपहरणकर्ताओं ने सुहैल के घरवालों को जल्द से जल्द रुपए नहीं देने पर बेटे को वापस नहीं लौटाने की धमकी दी. लेकिन, इस बातचीत और तमाम कोशिश के बावजूद पुलिस अपहरणकर्ताओं का पता नहीं लगा सकी. वजह ये कि जब-जब पुलिस ने हिंगोरा परिवार को कॉल करनेवाले नंबरों को ट्रैस करने की कोशिश की, तब-तब वो नंबर स्वीच्ड ऑफ़ मिले. हैरानी ये भी थी कि हर बार फिरौती के लिए एक नए नंबर से कॉल किया जा रहा था.

दमन से लेकर ओडिशा और उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ था गैंग
ज़ाहिर है, बदमाशों ने सुहैल को अगवा करने से पहले पूरी तैयारी की थी. उधर, पुलिस सुहैल के घर आनेवाले हर नंबर का सर्विलांस शुरू कर चुकी थी... लेकिन इस बार भी पुलिस उलझ कर रह गई. तफ्तीश के दौरान उसे पता चला कि सुहैल के घरवालों को जिन नंबरों से टेलीफ़ोन किया जा रहा है, वो नंबर ओडीशा और उत्तर प्रदेश के हैं... यानी उन नंबरों के सिम कार्ड ओडीशा और उत्तर प्रदेश से ख़रीदे गए थे.. ज़ाहिर है अपहरण करनेवाले बदमाशों का गैंग कोई मामूली नहीं, बल्कि एक ऐसा गैंग था, जो दमन से लेकर ओडिशा और उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ था. और तमाम कोशिशों के बावजूद सुहैल के असली ठिकाने के बारे में पुलिस कोई भी ओर-छोर नहीं मिल रहा था. इसी बीच एक लंबा वक़्त गुज़र गया और तभी एक ऐसी बात हुई, जिसने हिंगोरा परिवार को चौंका दिया... अब उनके बेटे के घर लौटने की उम्मीद नज़र आने लगी थी.

अब सुहैल को अगवा हुए तकरीबन एक महीने पूरे हो चुके थे और इस बीच घरवाले लगातार अपहरणकर्ताओं से फिरौती को लेकर बात कर रहे थे. क्योंकि हिंगोरा परिवार अमीर तो था, मगर इतना भी अमीर नहीं था कि वो सौ करोड़ रुपए की फिरौती इतनी आसानी से चुका देते. उधर, इतने दिनों से हिंगोरा परिवार से बातचीत करते-करते बदमाशों को भी अहसास हो चुका था कि उनका शिकार उन्हें सौ करोड़ रुपए नहीं दिला सकता.
बहरहाल, इसी बीच घरवालों ने अपहरणकर्ताओं को तकरीबन 9 करोड़ से 25 करोड़ रुपए के बीच की कोई रकम देने की हामी भरी और बदमाशों ने इस रकम के बदले सुहैल को रिहा करने का फ़ैसला सुना दिया. अब महीने भर बाद हिंगोरा परिवार की खुशी अब वापस लौट रही थी. और बदमाशों ने सुहैल की रिहाई के लिए जो जगह बताई, उसने एक बार फिर हिंगोरा परिवार को घुमा दिया. बदमाशों ने कहा कि फिरौती चुकाने पर सुहैल की रिहाई पटना के गांधी सेतु के पास होगी. तो क्या सुहैल को इतने दिनों तक कहीं बिहार में छिपा कर रखा गया था?
घरवालों की मुराद हुई पूरी
बहरहाल, वो वक़्त भी आया जब घरवालों की मुराद पूरी हुई. और 28 नवंबर को सुहैल को पटना के गांधी सेतु के पास उसके घरवालों के हवाले कर दिया गया. यानी करोड़ों की फिरौती के इस खेल में सुहैल की जान बच गई. अब भी कई सवाल थे, जिनका जवाब किसी के पास नहीं था. मसलन, आख़िर सुहैल को अगवा किसने किया था? उसे बिहार में कहां छिपा कर रखा गया था? दमन से लेकर बिहार तक इस गैंग के लोग कहां-कहां छिपे थे? सवाल कई थे, लेकिन सबके सब अनसुलझे.

डिश कनेक्शन के आईडी नंबर से फंसे अपहरणकर्ता
अब सुहैल बदमाशों के चंगुल से छूट कर अपने घर सूरत पहुंच चुका था और पुलिस भी उससे अपहरणकर्ताओं का पता पूछने उसके घर आ चुकी थी.

वैसे तो अपहरण के वक्त बदमाशों ने उसे नशे का इंजेक्शन लगा कर बेहोश कर दिया था और महीने भर उसे एक कमरे में बंद रखा गया, यहां तक कि रिहाई से पहले भी उसकी आंखों पर पट्टी बंधी रही. लेकिन इतना होने के बावजूद सुहैल ने आख़िरकार पुलिसवालों को उस घर का पता बता ही दिया, जहां वो इतने दिनों तक क़ैद पड़ा रहा.
दरअसल, सुहैल ने क़ैदवाले कमरे में लगे टेलीविजन सेट के डिश कनेक्शन का आईडी नंबर याद कर लिया था और दस डिजीट का ये आईडी नंबर पुलिस के लिए सबसे बड़ा सुराग़ साबित हुआ. बस, इसी एक लिंक के सहारे पुलिस छपरा चतुरपुर गांव के इस मकान तक आ पहुंची. और सुहैल के बताए मुताबिक इस कमरे में छिपाया गया उसका रूमाल और आईडी कार्ड भी पुलिस ने यहां से सुबूत के तौर पर बरामद कर लिया.
पुलिस ने यहां से रंजीत नाम के एक नौजवान को धर दबोचा, उसी रंजीत को, जिसकी सुहैल के यहां क़ैद रहने के दौरान शादी हुई थी. जबकि कुछ दिन बाद रंजीत का पिता नागमणि सिंह भी पुलिस की जाल में फंस गया, जो खुद झारखंड पुलिस का सब इंस्पेक्टर था. लेकिन अब भी इस मामले में पुलिस को रंजीत के दो भाइयों दीपक सिंह और सोनू सिंह समेत कई बदमाशों की तलाश है. जिन्होंने सौ करोड़ की किडनैपिंग का ये पूरा जाल-बट्टा देश के छह राज्यों में फैला रखा था.

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