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Feb 15, 2014


Jan 6, 2014

दिल्ली के नाकआउट से बाहर होने पर सिर्फ वीरू को जिम्मेदार ठहरना गलत: गंभीर



नई दिल्ली: दिल्ली के कप्तान गौतम गंभीर ने वीरेंद्र सहवाग का समर्थन करते हुए कहा कि रणजी ट्राफी के नाकआउट राउंड से टीम के बाहर होने के लिये सिर्फ इस विस्फोटक बल्लेबाज की खराब फार्म को जिम्मेदार ठहराना अनुचित होगा.

सहवाग की खराब फार्म इस रणजी ट्राफी सत्र में चर्चा का विषय रही, जिसमें उन्होंने 13 पारियों में 20 से भी कम औसत से 234 रन बनाये हैं.

गंभीर ने यहां प्रेट्र को दिये साक्षात्कार में कहा, ‘‘देखिये, अगर हममें से प्रत्येक खिलाड़ी ने बेहतर प्रदर्शन किया होता तो दिल्ली रणजी ट्राफी जीतने की दौड़ में होती. ’’ इस सलामी बल्लेबाज ने कहा, ‘‘वीरू के लिये अच्छा सत्र नहीं रहा, लेकिन यह खेल में होता है.

यही खेल की खूबसूरती है. यह मिथुन मन्हास और मेरी जिम्मेदारी थी कि हम टीम को आगे ले जायें. सच कहूं तो हमारे लिये पंजाब के खिलाफ पहली पारी काफी खराब रही, जिसमें हम बड़ी बढ़त हासिल नहीं कर सके. वीरू को दिल्ली के नाकआउट के लिये क्वालीफाई नहीं कर पाने की असफलता के लिये जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं है. ’’ 

गंभीर ने हरियाणा के युवा नवदीप सैनी को रणजी ट्राफी में खिलाने के फैसले का भी बचाव किया. दिल्ली राज्य से बाहर के सैनी को अंतिम एकादश में चुनने के लिये उनकी काफी आलोचना भी हुई.

उन्होंने कहा, ‘‘जिन्होंने नवदीप को खिलाने के मेरे फैसले पर सवाल उठाये, उन्हें ये देखना चाहिए कि बीते समय में दिल्ली की ओर से ऐसे कितने खिलाड़ी खेले हैं जो राज्य के नहीं थे.

’’ गंभीर ने कहा, ‘‘किसी व्यक्तिगत राय के बारे में मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा. मेरे लिये यह महत्वपूर्ण है कि वह खिलाड़ी टीम के लिये मूल्यवान है या नहीं. ’’

Jan 4, 2014

अपहरण की अजीब कहानी: डिश के आईडी नंबर से पकड़े किडनैपर

अमीर कारोबारी... करोड़ों का कारोबार... किडनैपिंग... और 100 करोड़ की फिरौती... एक ऐसा अपहरण है, जो हुआ तो देश के पश्चिमी कोने पर मौजूद एक छोटे से द्वीप पर... लेकिन इसकी साजिश का ताना-बाना बुना गया देश के 6 राज्यों को मिला कर.
पटना से तकरीबन 50 किलोमीटर दूर छपरा जिले के एक गांव में खुशी का माहौल था. लोग नाच-गा रहे थे, क्योंकि इस घर से बारात निकल रही थी. लेकिन इसी बारात के पीछे इस मकान के एक कमरे में वो राज़ दफ़्न था, जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था. क्योंकि एक तरफ़ तो इस मकान में शादी हो रही थी, लोगों की भीड़ इकट्ठी थी. दावत उड़ाई जा रही थी. वहीं दूसरी तरफ़ इसी मकान के एक कमरे में पिछले बीस दिनों से क़ैद एक नौजवान अपने रिहाई का इंतज़ार कर रहा था. दूसरे लफ़्जों में कहें तो अपनी आज़ादी के लिए घड़ियां गिन रहा था.
लेकिन सवाल ये है कि एक भरे घर में, जहां शादी की वजह से ज़बरदस्त चहल-पहल थी, सैकड़ों लोगों का आना-जाना लगा था, वहां भला कोई नौजवान कैसे क़ैद हो सकता था? सवाल ये भी है कि आख़िर इस नौजवान का गुनाह क्या था? और उसे यहां इस हाल में किसने क़ैद कर रखा था? इन सवालों के जबाव में अपहरण की वो अजीब कहानी छिपी है, जिस पर किसी के लिए भी यकीन करना भी मुश्किल हो सकता है.
एक ऐसा अपहरण जिसमें चंद सियासतदानों और पुलिसवालों की शह पर एक अरबपति कारोबारी के बेटे को अगवा किया गया. 25 दिनों तक उसे क़ैद में रखा गया और सौ करोड़ की फिरौती मांगी गई. क्योंकि ये थी अब तक की सबसे बड़ी किडनैपिंग.
नौजवान बेटे को किया अगवा
इधर दमन की एक फैक्ट्री पर बदमाशों ने धावा बोला और उधर सूरत के एक परिवार में सन्नाटा पसर गया. क्योंकि बदमाशों ने इस घर के नौजवान बेटे को अगवा कर लिया था. लेकिन इसके बाद बदमाशों ने इस परिवार के सामने जो मांग रखी, वैसी मांग अब तक ना तो किसी ने रखी थी और ना ही सुनी थी.

देश के केंद्र शासित प्रदेशों में से एक दमन में इस रोज़ जो कुछ हुआ, उसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था. अमीर कारोबारी हनीफ़ हिंगोरा के बेटे सुहैल हिंगोरा को उन्हीं की फैक्ट्री से हथियारबंद गुंडों के एक गैंग ने तब अगवा कर लिया, जब वो रोज़ की तरह फैक्ट्री का काम-काज संभालने पहुंचा था. इस वारदात ने सूरत के रहनेवाले हिंगोरा परिवार को बेचैन कर दिया. ये उनके लिए एक बड़ा झटका था.
नौजवान सुहैल जितना तेज़-तर्रार था, उतना ही स्मार्ट भी. वो कराटे का ब्लैक बेल्ट होल्डर था. लेकिन हथियारों से लैस गुंडों के आगे उसकी एक न चली और अगले चंद मिनटों में उसे उठा कर बदमाश दमन से दूर निकल चुके थे. इसके बाद जब देर तक सुहैल वापस नहीं लौटा, तो घरवाले पुलिस के पास पहुंचे, लेकिन दमन पुलिस भी सुहैल के बारे में कोई ख़ास सुराग़ नहीं लगा सकी. इसी बीच दो दिन गुज़र गए और फिर वही हुआ जिसका डर था.
अनजान नंबरों से कॉल 
अब कुछ अनजान नंबरों से सुहैल के पिता हनीफ़ हिंगोरा के मोबाइल पर फ़ोन आने लगा. कॉल करनेवाले ने कहा, 'तुम्हारा बेटा सुहैल हमारे कब्ज़े में है. अगर, उसकी ख़ैरियत चाहते हो, तो सौ करोड़ रुपए का इंतज़ाम कर लो. इधर, तुमने रुपए दिए और उधर तुम्हारा बेटा वापस लौट आएगा. और हां, अगर तुमने कोई चालाकी करने की कोशिश की, तो नतीजा ठीक नहीं होगा.'

ये बातें सुनते ही हिंगोरा परिवार में सन्नाटा पसर गया. सुहैल के पिता हनीफ़ हिंगोरा के पैरों तले ज़मीन खिसक गई. अब घरवालों को ये बात समझ में आ गई कि उनके लाडले को बदमाशों ने अगवा कर लिया है. और बेटे की रिहाई का बस एक ही रास्ता है, वो है अपहरणकर्ताओं की मांग पूरी करना. लेकिन ये मांग जितनी बड़ी थी, उसके बारे में सोच कर भी हिंगोरा परिवार को पसीने छूट रहे थे.
हर बार फिरौती के लिए एक नए नंबर से कॉल
अब हिंगोरा परिवार को अगले फ़ोन का इंतज़ार था. उधर, दमन पुलिस बदमाशों का पता ढूंढ़ने के लिए पूरी तरह चौकन्नी हो चुकी थी. इसके बाद इस परिवार के पास एक-एक कर कई फ़ोन आए और हर बार अपहरणकर्ताओं ने सुहैल के घरवालों को जल्द से जल्द रुपए नहीं देने पर बेटे को वापस नहीं लौटाने की धमकी दी. लेकिन, इस बातचीत और तमाम कोशिश के बावजूद पुलिस अपहरणकर्ताओं का पता नहीं लगा सकी. वजह ये कि जब-जब पुलिस ने हिंगोरा परिवार को कॉल करनेवाले नंबरों को ट्रैस करने की कोशिश की, तब-तब वो नंबर स्वीच्ड ऑफ़ मिले. हैरानी ये भी थी कि हर बार फिरौती के लिए एक नए नंबर से कॉल किया जा रहा था.

दमन से लेकर ओडिशा और उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ था गैंग
ज़ाहिर है, बदमाशों ने सुहैल को अगवा करने से पहले पूरी तैयारी की थी. उधर, पुलिस सुहैल के घर आनेवाले हर नंबर का सर्विलांस शुरू कर चुकी थी... लेकिन इस बार भी पुलिस उलझ कर रह गई. तफ्तीश के दौरान उसे पता चला कि सुहैल के घरवालों को जिन नंबरों से टेलीफ़ोन किया जा रहा है, वो नंबर ओडीशा और उत्तर प्रदेश के हैं... यानी उन नंबरों के सिम कार्ड ओडीशा और उत्तर प्रदेश से ख़रीदे गए थे.. ज़ाहिर है अपहरण करनेवाले बदमाशों का गैंग कोई मामूली नहीं, बल्कि एक ऐसा गैंग था, जो दमन से लेकर ओडिशा और उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ था. और तमाम कोशिशों के बावजूद सुहैल के असली ठिकाने के बारे में पुलिस कोई भी ओर-छोर नहीं मिल रहा था. इसी बीच एक लंबा वक़्त गुज़र गया और तभी एक ऐसी बात हुई, जिसने हिंगोरा परिवार को चौंका दिया... अब उनके बेटे के घर लौटने की उम्मीद नज़र आने लगी थी.

अब सुहैल को अगवा हुए तकरीबन एक महीने पूरे हो चुके थे और इस बीच घरवाले लगातार अपहरणकर्ताओं से फिरौती को लेकर बात कर रहे थे. क्योंकि हिंगोरा परिवार अमीर तो था, मगर इतना भी अमीर नहीं था कि वो सौ करोड़ रुपए की फिरौती इतनी आसानी से चुका देते. उधर, इतने दिनों से हिंगोरा परिवार से बातचीत करते-करते बदमाशों को भी अहसास हो चुका था कि उनका शिकार उन्हें सौ करोड़ रुपए नहीं दिला सकता.
बहरहाल, इसी बीच घरवालों ने अपहरणकर्ताओं को तकरीबन 9 करोड़ से 25 करोड़ रुपए के बीच की कोई रकम देने की हामी भरी और बदमाशों ने इस रकम के बदले सुहैल को रिहा करने का फ़ैसला सुना दिया. अब महीने भर बाद हिंगोरा परिवार की खुशी अब वापस लौट रही थी. और बदमाशों ने सुहैल की रिहाई के लिए जो जगह बताई, उसने एक बार फिर हिंगोरा परिवार को घुमा दिया. बदमाशों ने कहा कि फिरौती चुकाने पर सुहैल की रिहाई पटना के गांधी सेतु के पास होगी. तो क्या सुहैल को इतने दिनों तक कहीं बिहार में छिपा कर रखा गया था?
घरवालों की मुराद हुई पूरी
बहरहाल, वो वक़्त भी आया जब घरवालों की मुराद पूरी हुई. और 28 नवंबर को सुहैल को पटना के गांधी सेतु के पास उसके घरवालों के हवाले कर दिया गया. यानी करोड़ों की फिरौती के इस खेल में सुहैल की जान बच गई. अब भी कई सवाल थे, जिनका जवाब किसी के पास नहीं था. मसलन, आख़िर सुहैल को अगवा किसने किया था? उसे बिहार में कहां छिपा कर रखा गया था? दमन से लेकर बिहार तक इस गैंग के लोग कहां-कहां छिपे थे? सवाल कई थे, लेकिन सबके सब अनसुलझे.

डिश कनेक्शन के आईडी नंबर से फंसे अपहरणकर्ता
अब सुहैल बदमाशों के चंगुल से छूट कर अपने घर सूरत पहुंच चुका था और पुलिस भी उससे अपहरणकर्ताओं का पता पूछने उसके घर आ चुकी थी.

वैसे तो अपहरण के वक्त बदमाशों ने उसे नशे का इंजेक्शन लगा कर बेहोश कर दिया था और महीने भर उसे एक कमरे में बंद रखा गया, यहां तक कि रिहाई से पहले भी उसकी आंखों पर पट्टी बंधी रही. लेकिन इतना होने के बावजूद सुहैल ने आख़िरकार पुलिसवालों को उस घर का पता बता ही दिया, जहां वो इतने दिनों तक क़ैद पड़ा रहा.
दरअसल, सुहैल ने क़ैदवाले कमरे में लगे टेलीविजन सेट के डिश कनेक्शन का आईडी नंबर याद कर लिया था और दस डिजीट का ये आईडी नंबर पुलिस के लिए सबसे बड़ा सुराग़ साबित हुआ. बस, इसी एक लिंक के सहारे पुलिस छपरा चतुरपुर गांव के इस मकान तक आ पहुंची. और सुहैल के बताए मुताबिक इस कमरे में छिपाया गया उसका रूमाल और आईडी कार्ड भी पुलिस ने यहां से सुबूत के तौर पर बरामद कर लिया.
पुलिस ने यहां से रंजीत नाम के एक नौजवान को धर दबोचा, उसी रंजीत को, जिसकी सुहैल के यहां क़ैद रहने के दौरान शादी हुई थी. जबकि कुछ दिन बाद रंजीत का पिता नागमणि सिंह भी पुलिस की जाल में फंस गया, जो खुद झारखंड पुलिस का सब इंस्पेक्टर था. लेकिन अब भी इस मामले में पुलिस को रंजीत के दो भाइयों दीपक सिंह और सोनू सिंह समेत कई बदमाशों की तलाश है. जिन्होंने सौ करोड़ की किडनैपिंग का ये पूरा जाल-बट्टा देश के छह राज्यों में फैला रखा था.

नौ को शहर का होगा चक्का जाम

मुजफ्फरपुर, नसं : यदि निजी कंपनी ने अपनी मनमानी नहीं रोकी और सरकार ने दिल्ली की तर्ज पर बिहार में भी बिजली की दर आधी नहीं की तो 9 जनवरी को शहरवासी सड़क पर होंगे। शहर का चक्का जाम होगा। उक्त घोषणा पूर्व विधायक विजेंद्र चौधरी ने शुक्रवार को निगम कार्यालय प्रांगण में आयोजित संवाददाता सम्मेलन की। इस मौके पर उपमहापौर सैयद माजिद हुसैन, महापौर प्रतिनिधि व सामाजिक कार्यकर्ता संजीव चौहान, सशक्त स्थायी समिति सदस्य राजा विनीत, वार्ड पार्षद मो.अंजार व राजेश दास उपस्थित थे। कहा कि एक तरफ दिल्ली की सरकार जनता को आधी दर पर बिजली दे रही है, वहीं मुजफ्फरपुर में सरकार द्वारा नियुक्त निजी कंपनी अपनी मनमानी कर रही है। सरचार्ज के नाम पर जबरिया वसूली के साथ औसत तीन सौ यूनिट का बिल गरीबों के साथ मजाक है। नियमित मीटर रीडिंग नहीं हो रही है और न ही शहरवासियों को समय पर बिल मिल रहा है। सरकार ने 8 जनवरी तक बिजली दर को आधा नहीं किया तो 9 जनवरी को शहर को चक्का जाम होगा। आप ने दिया धरना मुजफ्फरपुर, नगर प्रतिनिधि : बिजली उपभोक्ताओं से सरचार्ज के नाम पर वसूली व बिना मीटर रीडिंग बिल के खिलाफ आम आदमीपार्टी ने आंदोलन का शंखनाद किया। पहले चरण में शुक्रवार को माड़ीपुर स्थित बिजली कार्यालय पर धरना दिया। निजी कंपनी एस्सेल के अधिकारियों ने मांगें पूरी करने का वादा किया, उसके बाद आदोलन स्थगित हुआ। आप के उत्तर बिहार संयोजक शत्रुघ्न साहु ने कहा कि शहर से लेकर गांव तक एक ही हाल है। शहर में भी सरचार्ज के नाम पर वसूली और सभी को तीन सौ यूनिट के भुगतान की अनिवार्यता करना अंग्रेजी फरमान है। प्रो.रंभा सिन्हा की अध्यक्षता में आयोजित धरना को किसान संघर्ष मोर्चा संयोजक बिरेन्द्र राय, जिला प्रवक्ता डॉ.हेमनारायण विश्वकर्मा, नीरज कुमार, ई.उपेन्द्र, शम्स तबरेज, डॉ.मुर्तुजा, आनंद पटेल, आरटीआइ कार्यकर्ता अनिल द्विवेदी, प्रो.उमाशंकर सिंह, राकेश कुमार, मुकेश कुमार, संजीत किशोर आदि शामिल हुए। इन मांगों पर हुआ समझौता एस्सेल के वाणिज्य प्रधान संजीव सिन्हा, वरीय व्यवस्थापक सौरभ कुमार ने कहा कि एक सप्ताह में सारी समस्या का निवारण कर लिया जाएगा। बिजली बिल व मीटर रीडिंग की होगी सही व्यवस्था, हेल्पलाइन दुरुस्त की जाएगी।

Jan 3, 2014

Muzaffarpur: Train services resume after flyover collapse

Muzzafarpur:  After disruption of train traffic for nearly 36 hours due to collapse of a flyover over a goods train in Muzaffarpur, tracks have been reopened.

After removal of debris following the collapse of the middle portion of the flyover over a goods train on Wednesday afternoon, the UP line was opened last night and the DN line was cleared for train services this morning, sources in East Central Railway (ECR) zone said.

The Swantrata Senani and Sampark Kranti were the two prominent long-distance trains which ran through the station after the resumption of services, the sources said.

Following the accident, the ECR was forced to cancel several pairs of trains on Muzaffarpur-Hajipur, Muzaffarpur-Motihari-Sugauli rail sections of the Sonepur division.

The Railway rescue team with the help of district administration worked overtime to clear debris from the tracks to resume train services. The Railway had brought nearly a dozen crane and other equipment from Sonepur and Gorakhpur to clear the debris.

In a bizarre incident, about 50-feet-long middle portion of the 40-year-old flyover at Maripur caved in and fell on a goods train on November 27 afternoon, leaving 10 persons injured due to fall of some autorikshaws and motorcycles from the flyover.

Two wagons of the goods train were damaged.

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